मां की ममता

#प्रतियोगिता
विषय:- मां की ममता


एहसासो  कि कहानी को कलम कहा शब्द दें  पाती  हैं 
बच्चा  अगर भूखा  हो तो मा सब कुछ भूल  जाती हैं 

तरसती  वो  दाने को हाथ भी फैलती हैं 
नहीं संकोच उसे किसी का 
अपने बच्चों का पेट भरने वो बाजारों में बिक जाती हैं

रोटी के टुकड़े की कीमत उस वक्त समझ आती है
जब भूखे बच्चे के हाथ से छूटकर वो धूल में गिर जाती है
और यह देख उसकी मां की तड़प कितनी बढ़ जाती है
कर के साफ उस रोटी से धूल को जो मां अपने बच्चे को खिलाती हैं

कहते हैं ये पेट की भूख सबको तड़पाती है
पर बच्चा अगर भूखा हो तो मां को अपनी भूख कहां याद आती है
अपने बच्चों के खातिर वो कुदरत का बनाया कानून भी मिटाती है
अपने हिस्से का हर एक निवाला अपने बच्चे को खिला कर अपना पेट भरा बताती है

हर दर्द सह लेती है पर आंखों को आंसुओं से ना भिगाती है
अपने बच्चे की एक मुस्कान पर मां अपना सारा गम भूल जाती है

अपने बच्चे की ख्वाहिशों का मकान खड़ा करने मां अपने अरमानों की नीव लगाती है
हर सफलता की राहों में रख उसे सामने मुसीबत आने पर उसकी ढाल बन जाती है
एक मां ही होती है जो अपने बच्चे के खातिर अपने आप को भूल जाती है
यूंही नहीं मां की ममता सारे जग से ऊंची मानी जाती है।

नाम:- कल्पनाओं की कवियत्री (PG)
         स्वरचित रचना 

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5 Comments

Gunjan Kamal

04-Dec-2022 05:35 PM

बहुत खूब

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Punam verma

03-Dec-2022 08:06 AM

Very nice

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Mahendra Bhatt

03-Dec-2022 08:01 AM

बहुत खूब

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